
प्रो कबड्डी लीग (PKL) में खेलने वाले मशहूर ईरानी डिफ़ेंडर फजल अत्राचली ने अपनी अद्भुत डिफेंस स्किल्स और आक्रामक नेतृत्व से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है। वे प्रो कबड्डी इतिहास के अब तक के सबसे सफल डिफेंडर बन चुके हैं और कबड्डी की दुनिया में सुल्तान के नाम से मशहूर है। 2025 में PKL 12 में वे दबंग दिल्ली टीम में है।
1 अगस्त 2025 को प्रो कबड्डी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर ‘पंगा पॉडकास्ट’ के एपिसोड 5 का प्रीमियर हुआ, जिसमें फजल ने PKL इनसाइडर ‘श्याम वासुदेवन’ से अपने जीवन, करियर, संघर्ष, परिवार, और व्यक्तिगत रुचियों के बारे में खुलकर बात की। इस पॉडकास्ट में उनके द्वारा किए गए खुलासे ना सिर्फ खेल प्रेमियों बल्कि आम दर्शकों को भी काफ़ी प्रेरणा देने वाले हैं।
एपिसोड की शुरुआत: फजल का सफर
एपिसोड की शुरुआत की शुरुआत में ही दर्शकों को फजल अत्राचली के इस पॉडकास्ट के बेस्ट मोमेंट्स की झलक दी जाती है। इसके बाद पॉडकास्ट शुरू होने पर पॉडकास्टर श्याम वासुदेवन फजल से उनके एतिहासिक PKL के सफर के अनुभव के बारे में पूछते है, जिसके जवाब में फजल ने बताया उनका कबड्डी का सफर हमेशा से ही बेहद मुश्किलों भरा था। कभी-कभी यह उनके लिए अच्छा था लेकिन ज्यादातर यह उतार-चढ़ाव से भरा रहा, कई बार उन्होंने गीव अप किया और कई बार कमबैक भी किया।
उन्होंने बताया कि उन्हे कबड्डी में 21 साल हो गए हैं, वह जब 5 वर्ष के बच्चे थे तभी से कबड्डी का आनंद ले रहे है, और 16 साल से प्रोफेशनल कबड्डी खेल रहे हैं। उन्होंने बताया कि जब वह 10-11 साल के थे तब वह अपने गांव में दो अलग-अलग कोचों के पास कबड्डी सीखने के लिए गए थे लेकिन उन दोनों ने ही कहा कि कबड्डी तुम्हारे लिए नहीं है।
फजल का सफर अब खत्म हो गया है’ – आलोचनाओं को बनाया ताकत
आगे बातचीत में उन्होंने बताया कि 2013 में आलोचकों ने कहा की फजल अत्राचली का करियर खत्म हो गया है, और अब वह दुबारा नहीं खेलेंगे। इसके बाद 2016 में भी ऐसा ही हुआ, लेकिन उन्होंने कबड्डी खेलना जारी रखा और अब वह यहाँ है और अपने इस सफर से खुश हैं।
फजल अतराचली ने आगे कहा कि जब आप अच्छे खिलाड़ी बन जाते हैं तो कुछ लोग आपके लिए खुश होते हैं लेकिन कुछ लोग आपके दुश्मन बन जाते हैं। यह काफी चुनौती भरा होता है और उन्हें ऐसी चुनौती का कई बार सामना किया है।
इस पर पॉडकास्टकर्ता श्याम वासुदेवन कहते हैं कि 2013 में वे (आलोचक) कहते थे कि फजल खत्म है और 2024 में फजल PKL इतिहास में सबसे अधिक (500) टैकल पॉइंट्स पाने वाले पहले डिफ़ेंडर बनते हैं, यह उनके (फज़ल के) लिए एक सफल कहानी से कम नहीं है। इस पर फजल कहते हैं कि किसी ने नहीं सोचा था की एक दिन वह सबसे सफल डिफ़ेंडर बनेंगे।
उन्होंने कहा – “लोगों ने मुझे ‘डाउन’ बताया, कहा कि मैं बूढ़ा हो गया हूं और अब पहले जैसा नहीं हूं। लेकिन वही बातें मेरी सबसे बड़ी मोटिवेशन बनीं।”
🇮🇳 भारत में बढ़ती लोकप्रियता और भारतीय भाषाओं के साथ जुड़ाव
फजल अत्राचली ने स्वीकार किया कि एक खिलाड़ी के रूप में उन्हें जो प्यार और सम्मान मिलता है, वह अद्वितीय है। उन्होंने कहा हर किसी का सपना होता है कि एक दिन वह एक अच्छा खिलाड़ी बने, कप्तान बने या सबसे बेहतर खिलाड़ी बने। उन्होंने हँसते हुए कहा – “लेकिन अब मैं जो हूँ वो मेरी सोच से भी बडा है, और मैं भगवान का शुक्रिया करता हूँ“।
भारतीय भाषाओं के बारे में उन्होंने कहा कि वह थोड़ी हिन्दी, मराठी, हरियाणवी और पंजाबी बोल लेते हैं, उन्होंने सभी भाषाओं के कुछ वाक्य भी बताए जैसे पंजाबी में “कोई चक्कर नहीं”, हिंदी में “कोई बात नहीं”, नजदीक , दूर, डर नहीं, आराम से, थोड़ा जोश। दरअसल ये वो वाक्य है, जो मैच के दौरान इस्तेमाल किए जाते है।
उन्होंने हसते हुए कहा क्योंकि यहाँ ज्यादातर खिलाड़ी या स्टाफ इंग्लिश भाषा का इस्तेमाल नहीं करते, इसलिए वह (फजल) इंग्लिश के कई शब्द भी भूल गए हैं।
अन्य खिलाड़ियों के लिए मेंटर की भूमिका
अब जब फजल एक सीनियर खिलाड़ी बन चुके हैं, तो वह अन्य खिलाडियों को मोटिवेट करना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा – “हर टीम में कुछ ऐसे खिलाड़ी होते हैं जो घबराए होते हैं, उन्हें एक भरोसेमंद मेंटर की ज़रूरत होती है। मुझे अच्छा लगता है जब मैं उनके आत्मविश्वास को बढ़ा पाता हूँ।” मैं चाहता हूँ कि खिलाड़ी अपना 100% दे, जिससे हमारी टीम जीते।
फजल के अनुसार, खेल में मानसिक संतुलन बहुत अहम है। आप शारीरिक रूप से कितने भी मजबूत हों, अगर दिमाग शांत नहीं है तो आप मैदान पर अपना 100% नहीं दे सकते।
कैसे रखते है खुद को हर परिस्थिति में शांत – सफलता की असली कुंजी
इस इंटरव्यू में आगे जब सवाल पूछने वाले श्याम वासुदेवन ने पूर्व भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी उर्फ कैप्टन कूल का उदाहरण देते हुए फजल से पूछा की आप उनकी तरह हर सिचुएशन में शांत कैसे रहते हैं? इस पर फजेल ने बताया कि वह इतने सालों से खेलते हुए यह समझ गए है कि खेल में हमेशा एक हिस्सा ऐसा होता है जहाँ कोई हंसता है, तो कोई रोता है।
उनका सोचना है कि जिंदगी बहुत छोटी है इसे एन्जॉय करना चाहिए, अगर कोई भी सिचुएशन हो तो कहना चाहिए कोई बात नहीं और उसे छोड़ देना चाहिए। इसके अलावा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है, रोने से कुछ नहीं होगा और ना कुछ बदलेगा। हमें सकारात्मक रहना चाहिए, और अगली बार चीजें बेहतर हो सकती हैं।
ऐसा नहीं है कि वह हारने के बाद भी हमेशा शांत रहते है, उन्होंने कहा “हार के बाद मैं भी कभी-कभी दुखी हो जाता हूँ, पूरी रात सोचता हूँ कि क्या करूँ। कभी-कभी लगता है कि मुझे संन्यास ले लेना चाहिए, लेकिन मुझे समझ में आता है कि मैं एक कप्तान हूँ और मुझे मजबूत रहना है। मेरे साथी मुझसे प्रेरित होते हैं, इसलिए मुझे उन्हें सकारात्मक रहकर आगे बढ़ना दिखाना चाहिए।“
अगर मैं अकेले सोचूं, तो मन में कई विचार आते हैं, लेकिन फिर मैं यह समझता हूँ कि हार भी खेल का हिस्सा है। थोड़ी देर के लिए दुखी होना ठीक है, फिर मुझे खुद को संभालकर वापस खेल में जुटना चाहिए। ऐसी स्थितियों में जब आपको लगता है कि अब सब कुछ खत्म हो गया है, जब आप थक चुके होते हैं, तब परिवार का बहुत बड़ा रोल होता है।
पिता की भूमिका और पारिवारिक जीवन
फजल ने पहली बार अपने पारिवारिक जीवन के बारे में खुलकर बात की। उनकी दो बेटियाँ हैं, जिन्हें वह बेहद प्यार करते हैं। उन्होंने कहा – “खासकर जब मैं बहुत दुखी होता हूँ, तो अपनी बेटियों से बात करके मुझे शांत महसूस होता है। ये एक तरह से मुझे खुद को ठंडा करने में मदद करता है।”
कप्तान के पास कोई नहीं होता….
उनका सोचना है कि उनके जैसे किसी के लिए बुरी स्थिति से उबरना मुश्किल हो सकता है। उदाहरण के लिए, जब कोई युवा खिलाड़ी बुरी स्थिति में होता है, तो वह हमसे या मुझसे बात करता है, या फिर कोच के पास टीम की समस्या होती है और वह कप्तान से पूछता है कि क्या करें।
लेकिन कप्तान के पास कोई नहीं होता जो उससे बात कर सके। सब लोग चाहते हैं कि आप मजबूत रहें, लेकिन कभी-कभी हम भी किसी से बात करना चाहते हैं। हम भी कभी-कभी चाहते हैं कि कोई हमें सुने, लेकिन हम किसी से बात नहीं कर पाते। यह हमारे लिए ज्यादा मुश्किल है क्योंकि सभी लोग हमसे कुछ न कुछ चाहते हैं।
PKL की सबसे यादगार यादें
जब उनसे पूछा गया कि प्रो कबड्डी में उनकी सबसे यादगार याद कौन सी है, तो उन्होंने कहा कि हर सीज़न कुछ न कुछ नया सिखाता है। सीजन 2 और 3 में उन्हें बहुत अच्छे पल मिले थे। सीजन 4 में जब उनकी टीम चैंपियन बनी वो भी एक शानदार अनुभव था।
लेकिन सीजन 3 (यू मुंबा) और 9 (पुनेरी पलटन) उनके पसंदीदा सीजन हैं, वे रनर-अप थे, लेकिन फिर भी बहुत खुश थे और उन्हें वहाँ मानसिक शांति मिली थी। इन दोनों सीजन के दौरान उन्हें अनुप, राकेश, विशाल, शबीर, बाबू, ऋषांक, असलम, आकाश, पंकज जैसे खिलाडियों के साथ खेलना अच्छा लगा।
कप्तान के तौर पर PKL का खिताब जीतना है सपना
पॉडकास्टकर्ता ने जब कहा कि आपने अपनी कबड्डी करियर में सब कुछ जीत लिया है, लेकिन फिर भी कप्तान के तौर पर PKL जीतना बाकी है। इस पर फज़ल अत्राचल्ली ने कहा “एक चीज़ जो अभी भी मिस है, वो है कप्तान के तौर पर PKL जीतना। मैंने वर्ल्ड कप, एशियन गेम्स जैसे कई मेडल जीते हैं, लेकिन यह एक चीज़ अभी भी मेरी लिस्ट में बाकी है। मैं बस चाहता हूँ कि एक बार कप्तान के तौर पर PKL जीत लूँ, फिर मैं आराम से रिटायर हो जाऊं।“
फजल ने कहा कि वह प्रो कबड्डी से रिटायर होने के बाद भी कबड्डी से जुड़े रहना चाहते हैं। वे या तो कोचिंग में आ सकते हैं या फिर किसी नेशनल टीम के मैनेजमेंट में शामिल हो सकते हैं।
बॉलीवुड फिल्मों और सितारों से प्यार
फजल को बॉलीवुड से बेहद लगाव है। उन्होंने बताया कि उन्हें अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, और सलमान खान की फिल्में बहुत पसंद हैं। उन्होंने बचपन में अमिताभ बच्चन की “बागबान” और “शोले” फिल्म देखी थी। इसके अलावा उन्होंने सलमान खान की “बॉडीगार्ड” और “सुल्तान” भी देखी है, जो ईरान में काफी पॉपुलर है। अमिर खान की फिल्म “लगान” भी उन्हें बहुत पसंद आई थी।
दरअसल ईरान में भी कई भारतीय सितारे काफी पॉपुलर है, और जब उन्होंने एक फोटो अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय के साथ पोस्ट किया, तो लोग उनसे कहते थे कि ये फोटो फर्जी है। लेकिन फिर जब मैंने और फोटो दिखाई, तो वो मान गए।
कार और बाइक के दीवाने फजल
फजल को ड्राइविंग का बहुत शौक है। उन्होंने खुलासा किया कि उनके पास कई लग्जरी कारें और स्पोर्ट्स बाइक्स हैं। उन्हें जब भी समय मिलता है, वे रोड ट्रिप्स पर निकल जाते हैं। उनके पास तीन कारें है, एक लैंड रोवर, एक प्यूज़ो 207 और एक किआ ऑप्टिमा। इसके अलावा उनके पास होण्डा सीबीआर 1300cc बाइक भी है, बाइक चलाना उन्हे बहुत अच्छा लगता है।
खेल के प्रति जूनून कभी कम नहीं होगा
एपिसोड के अंत में उन्होंने कहा – कबड्डी का आनंद लेना सबसे ज्यादा जरूरी है। जब मैं इंडिया आया था, तो मैंने सिर्फ कबड्डी को इंजॉय करने पर ध्यान दिया, पैसे के बारे में नहीं सोचा।
हां, पैसे और बाकी चीजें जरूरी हैं, लेकिन जब तुम खेल में खुश रहते हो, तो सब कुछ तुम्हारे पास आएगा। अगर तुम सिर्फ पैसे के बारे में सोचोगे, तो मुझे लगता है कि तुम कभी सफल नहीं हो पाओगे।
इसके बाद पॉडकास्टर ने पुछा: जब तुम मैदान पर कदम रखते हो, उस समय जो खुशी और संतुष्टि होती है, वो भूख अब भी वैसी ही है।
इस पर फजल अत्राचली ने जवाब दिया: हां, हमेशा ऐसा होता है। कभी-कभी मूड नहीं होता, और जैसे कि 10 मिनट के लिए मन करता है, नहीं करना। फिर मैं अपने आप से कहता हूं, “तुम यहाँ इस लिए आए हो, अब जाकर 100% अपना दे दो।”
जब तुम ऐसा सोचते हो, तो फिर तुम्हारे पास एक मौका होता है। मैं हमेशा अपने मन से कहता हूं, “नहीं, तुम्हें यह करना है।”
निष्कर्ष
फजल अत्राचली की कहानी सिर्फ एक सफल डिफेंडर की नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व की है। उन्होंने सीमाओं को तोड़ा, आलोचनाओं को झेला और खुद को दुनिया के सबसे बड़े कबड्डी मंच पर स्थापित किया।
यह पॉडकास्ट पूरा देखना चाहते हैं? देखें ‘पंगा पॉडकास्ट एपिसोड 5’ प्रो कबड्डी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर, जिसका प्रीमियर 1 अगस्त 2025 को हुआ। ऐसी ही और भी प्रेरणादायक कहानियों, प्रो कबड्डी टीम एनालिसिस, खिलाड़ियों के प्रोफाइल और लाइव अपडेट्स के लिए जुड़ें: KabaddiArena.com