
प्रो कबड्डी 2025: यूपी, गुजरात, बंगाल और चैन्नई की टीमें प्लेऑफ से हुईं बाहर?
PKL 12 Eliminated Teams: प्रो कबड्डी लीग सीजन 12 (PKL 2025) का लीग स्टेज अब खत्म हो चुका है, और इस सीजन ने दर्शकों को भरपूर रोमांच, ड्रामा और दिलचस्प मुकाबले देखने को दिए। नए फॉर्मेट के तहत इस बार टॉप 8 टीमें अगले दौर में क्वालिफाई कर चुकी हैं, जबकि चार टीमें अब पूरी तरह से प्लेऑफ की रेस से बाहर हो चुकी हैं।
कई बड़ी टीमें और नामी खिलाड़ी इस सीजन में उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके। आइए जानते हैं उन चार टीमों के बारे में, जिनकी PKL 12 में सफर यहीं समाप्त हो गया है।
1. बंगाल वॉरियर्स – स्टार रेडर के बावजूद निराशाजनक प्रदर्शन
बंगाल वॉरियर्स के लिए यह सीजन किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा, वे इस सीजन सबसे अंतिम स्थान पर रहे। टीम ने अपने 18 मुकाबलों में से सिर्फ 6 मैच जीते, जबकि बाकी में उन्हें हार झेलनी पड़ी।
टीम के रेडिंग विभाग ने तो कुछ हद तक जिम्मेदारी निभाई, खासकर कप्तान देवांक दलाल ने। उन्हें ऑक्शन में भारी रकम में खरीदा गया था और उन्होंने उम्मीदों पर खरा उतरते हुए 271 रेड पॉइंट्स हासिल किए, जिससे वे लीग के टॉप रेडर्स में शामिल रहे।
लेकिन समस्या यह रही कि उन्हें बाकी खिलाड़ियों का साथ नहीं मिला। डिफेंस में तालमेल की कमी साफ दिखाई दी और सपोर्ट रेडर्स का प्रदर्शन बेहद फीका रहा। यही वजह रही कि वॉरियर्स को इस बार टॉप 8 में जगह नहीं मिल सकी।
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2. गुजरात जायंट्स – महंगे खिलाड़ियों के बावजूद नाकामी
ऑक्शन के दौरान गुजरात जायंट्स सबसे ज्यादा चर्चा में थीं, जब उन्होंने ईरान के स्टार ऑलराउंडर मोहम्मदरेजा शादलूई को मोटी रकम देकर खरीदा। हालांकि, सीजन में उनका प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा।
टीम के अंदर कोऑर्डिनेशन की कमी और शादलोई की खराब फॉर्म ने जायंट्स की मुहिम को कमजोर कर दिया। उन्होंने टूर्नामेंट के आखिरी हिस्से में वापसी की कोशिश की, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण मुकाबले हारने के बाद उनकी प्लेऑफ की उम्मीदें खत्म हो गईं।
सीजन के अंत में गुजरात जायंट्स के खाते में सिर्फ 6 जीत (18 में से) रहीं, और वे अंकतालिका में नीचे (11वें स्थान पर) फिसल गए।
3. तमिल थलाइवाज – विवादों और अंदरूनी राजनीति ने बिगाड़ा खेल
तमिल थलाइवाज को इस सीजन की शुरुआत में सबसे मजबूत टीमों में गिना जा रहा था। टीम में पवन सेहरावत, अर्जुन देशवाल, नरेंद्र कंडोला, और नीतेश कुमार जैसे दिग्गज खिलाड़ी शामिल थे। कागज़ पर यह टीम चैंपियन लग रही थी, लेकिन मैदान पर सब उल्टा हुआ।
टीम का प्रदर्शन शुरू से ही खराब रहा, और धीरे-धीरे विवादों और अंदरूनी राजनीति ने हालात को और बिगाड़ दिया। बीच सीजन में पवन सेहरावत को अनुशासनात्मक कारणों से टीम से रिलीज़ कर दिया गया, जिससे टीम की रेडिंग लाइन पूरी तरह बिखर गई।
टीम के हेड कोच संजीव बालियान और कप्तान अर्जुन देशवाल ने खुलकर मैनेजमेंट पर आरोप लगाए कि उन्हें टीम चयन की आज़ादी नहीं दी गई और अनफिट खिलाड़ियों को खिलाया जा रहा था।
नतीजा यह हुआ कि तमिल थलाइवाज ने 18 में से केवल 6 मुकाबले जीते, और अब वे प्लेऑफ की रेस से आधिकारिक तौर पर बाहर हो गए हैं।
4. यूपी योद्धाज – शुरुआत अच्छी, लेकिन लगातार हार से टूटी उम्मीदें
यूपी योद्धाज हर सीजन में एक संतुलित टीम मानी जाती है, और इस बार भी उन्होंने अपने कोर ग्रुप को बरकरार रखा था। टीम ने गुमान सिंह जैसे टैलेंटेड रेडर को जोड़ा था, जिससे उम्मीद थी कि वे मजबूत वापसी करेंगे।
शुरुआत में टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन जल्द ही उनकी कंसिस्टेंसी की कमी सामने आई। कई मैचों में वे क्लोज फिनिश में हार गए, जिससे पॉइंट्स टेबल पर उनकी स्थिति कमजोर होती गई।
अंततः यूपी योद्धाज को सीजन खत्म होने तक सिर्फ 7 जीत (18 में से) मिलीं और वे नौवें स्थान पर रहे — यानी टॉप 8 की रेस से बाहर।
प्रो कबड्डी 2025 में अब आगे क्या?
अब सभी निगाहें PKL 12 के फाइनल पर टिकी हैं, जो 31 अक्टूबर को खेला जाएगा। इस सीजन में कई युवा खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन से सबका दिल जीता, जबकि कुछ बड़े नाम उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी टीम इस बार कबड्डी के मैदान की बादशाह बनेगी।
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PKL 12 का यह सीजन साबित करता है कि सिर्फ नामी खिलाड़ी या भारी-भरकम ऑक्शन रकम जीत की गारंटी नहीं होती। टीमवर्क, रणनीति और निरंतरता ही असली कुंजी हैं। बंगाल वॉरियर्स, गुजरात जायंट्स, तमिल थलाइवाज और यूपी योद्धाज — इन चारों टीमों के लिए यह सीजन एक बड़ी सीख बनकर रहेगा।








